🌧️ सज्जनगढ़ महल: उदयपुर की वर्षा की अद्भुत विरासत और जल संरक्षण का प्रतीक | Explore Sajjangarh Palace – Udaipur’s Monsoon Marvel & Water Heritageसज्जनगढ़ महल: उदयपुर की वर्षा की अद्भुत विरासत और जल संरक्षण का प्रतीक | Explore Sajjangarh Palace – Udaipur’s Monsoon Marvel & Water Heritage
🏗️ निर्माण का उद्देश्य व पृष्ठभूमि
- निर्माण की शुरुआत: सन् 1883 ई. – महाराणा सज्जन सिंह द्वारा।
- उद्देश्य: मानसून निगरानी और खगोलीय वेधशाला की स्थापना।
- स्थान: बांसदरा पहाड़ी, समुद्र तल से 932.60 मीटर ऊँचाई।
महाराणा सज्जन सिंह: पर्यावरण प्रेमी, जल संरक्षण समर्थक, दूरदर्शी शासक।
- 25 वर्ष की आयु में निधन के कारण निर्माण बाधित हुआ।
- महाराणा फतह सिंह ने निर्माण कार्य पूर्ण कराया।
- 1956 में महाराणा भगवत सिंह ने इसे जनता को समर्पित किया।
💧 जल संरक्षण प्रणाली
- हर मंजिल पर बारिश के पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था।
- दीवारों में पाइपलाइन से पानी नीचे की टंकियों में पहुँचना।
- मुख्य भूमिगत टंकी: 1,95,500 लीटर क्षमता।
- छत पर एक अतिरिक्त 2000 लीटर टंकी।
- 140 साल पुरानी यह प्रणाली आज भी सक्रिय।
🔍 वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान से जुड़ाव
राजस्थान सरकार द्वारा पारंपरिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने हेतु चलाए जा रहे इस अभियान में सज्जनगढ़ एक प्रेरणास्रोत है। इसकी जल संचयन प्रणाली को आधुनिक जल नीति में अनुकरणीय माना जा रहा है।
🌿 वन्यजीव और पर्यावरणीय दृष्टिकोण
- सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य – इको सेंसिटिव ज़ोन घोषित।
- वर्षा जल संरचनाएं: चेक डैम, ट्रेंच, कैचमेंट क्षेत्र।
- परंपरागत टांके, नालियाँ और तालाब संरक्षित।
- फतह सागर, पिछोला, बड़ी तालाब, उदयसागर – आस-पास स्थित जल स्रोत।
📌 निष्कर्ष
सज्जनगढ़ महल केवल एक स्थापत्य चमत्कार नहीं, बल्कि जल संचयन की पारंपरिक समझ और दूरदृष्टि का जीवंत उदाहरण है। यह राजस्थान के जल प्रबंधन प्रयासों को दिशा देता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक बनकर उभरा है।
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